Aalhadini

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The Train... beings death 13

घड़ी ने रात के एक बजने का इशारा किया। चिंकी जो अब तक मीठी नींद में सोई हुई थी.. उसके चेहरे पर चिंता की रेखाएं खिंचने लगी थी। डर से वो पसीना पसीना हो गई थी.. और एकदम से चिंकी  जोरदार चीख उठी...
"माँ....!!!"
अरविंद और अनन्या दौड़ते हुए चिंकी के कमरे में आए। चिंकी अपने बिस्तर पर एक कोने में चिपक कर बैठी हुई थी। उसके चेहरे से देख कर लग रहा था कि कोई बहुत ही ज्यादा भयानक उसने सपना देखा था। अभी भी उस सपने के डर के कारण चिंकी बहुत ही ज्यादा कांप  रही थी..पर वह क्या था वह तो चिंकी ही बता सकती थी? 
अरविंद और अनन्या ने अपनी लाडली की यह हालत देखी तो उनके दिल में एक बहुत ही तेज टीस उठी। वह बहुत ही ज्यादा घबरा रहे थे। एक तो पहले ही चिंकी पता नहीं क्या-क्या झेल कर वापस लौटी थी और अब यह सपना।
 उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करना चाहिए पर फिर भी कुछ तो करना ही था। अरविंद दरवाजे पर खड़ा खड़ा कुछ सोच सोच रहा था और अनन्या ने दौड़कर चिंकी को अपने गले से लगा लिया। जैसे ही अनन्या ने चिंकी को गले से लगाया.. चिंकी जो एकदम से डरी हुई और घबराई हुई थी.. अनन्या के गले लगते ही बहुत तेज रो पड़ी।
 चिंकी को ऐसे रोता देख अनन्या की हालत भी बहुत ज्यादा ठीक नहीं थी। अरविंद भी चिंकी को रोता देख कांप उठा था। उसने कभी भी चिंकी को इतना रोते नहीं देखा था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर बात क्या थी?
 अरविंद भी दौड़ कर उनके पास पहुंचा और अनन्या और चिंकी दोनों को कसकर गले लगा लिया। चिंकी बहुत तेज रोए जा रही थी और उसको सीने से लगाए अनन्या भी। अरविंद का दिल भी उनकी ऐसी हालत देखकर रो पड़ा था.. पर इस वक्त अरविंद का इस तरह रोना अनन्या और चिंकी को और भी ज्यादा कमजोर बना सकता था। वैसे भी कहते हैं ना की मर्द रोते नहीं.. बस इसी बात को ध्यान में रखते हुए अरविंद ने अपने आंसू अपनी आंखों में ही समेट लिये पर उसकी आंखों की नमी उसकी हालत बयान कर रही थी। तीनों एक दूसरे को गले लगाए बैठे हुए थे।
 चिंकी ने जब अनन्या और अरविंद को ऐसे दुखी और रोते हुए देखा तो उसने अपने आंसू पोछे और उन दोनों को भी चुप कराने लगी।
 "मां.. चुप हो जाओ ना.. आप भी चुप हो जाओ मत  रोओ पापा। देखो चिंकी भी नहीं रो रही है.. चिंकी गुड गर्ल है ना और चिंकी बहुत ज्यादा ब्रेव भी है। चिंकी को नहीं रोना चाहिए था।" ऐसा कहकर चिंकी अपने नन्हें हाथों से अनन्या और अरविंद के आंसू पोंछ रही थी। 
अपनी बेटी की इतनी समझदारी देखकर अरविंद और अनन्या दोनों ही बहुत ज्यादा खुश थे। उन्हें लग रहा था कि अब सच में उनकी बेटी बड़ी हो गई थी। कुछ देर तक उस कमरे में शांति पसरी थी। 
आसपास से झींगुर और छिपकलियों की आवाजें आ रही थी जो उस कमरे की शांति को भंग कर रही थी। अरविंद और अनन्या कुछ देर तक चिंकी को देखते रहे फिर अरविंद ने टेबल पर रखे जग को उठा कर ग्लास में पानी डाला और चिंकी को पीने के लिए दिया। चिंकी ने थोड़ा सा पानी पिया और ग्लास अनन्या को दे कर उसे भी पानी पीने के लिए कहा और थोड़ा पानी अरविंद को भी पिलाया। पानी पीने के बाद तीनों थोड़े संयमित दिखाई दे रहे थे।
 इस वक्त इन हालातों में सोने का सवाल ही नहीं उठता तो वह साथ ही बैठकर बातें करने लगे। अरविंद और अनन्या जानना चाहते थे कि उस पूरे 1 दिन चिंकी कहां थी और उसके साथ क्या-क्या हुआ??
 चिंकी अपने मम्मी पापा को सब कुछ बता कर परेशान नहीं करना चाहती थी। अरविंद और अनन्या ने प्रश्न भरी नजरों से चिंकी को देखा और उसके सर को सहलाते हुए पूछा, "चिंकी बेटा..! आपने बताया नहीं जब आप यहां नहीं थी तब आप कहां थी और आपके साथ क्या हुआ था..?"
 चिंकी ने बात को टालते हुए कहा, "क्या पापा..! आप भी ना..रात गई बात गई। आप क्यों परेशान हो रहे हैं.. कुछ भी नहीं हुआ था मेरे साथ??"
 चिंकी ने बात को टालने के लिए भरसक प्रयास किया अरविंद और अनन्या उसकी इस कोशिश को समझ रहे थे पर वह जानते थे कि कुछ तो बहुत ही अजीब घटा था जो चिंकी उन्हें बताना नहीं चाहती।
 अरविंद ने फिर से कुछ पूछने के लिए जैसे ही मुंह खोला चिंकी उनकी गोद में सर लग कर लेट गई और कहने लगी, "क्या पापा.. आप भी ना बहुत ही ज्यादा टेंशन लेते हो। आपको पता है ना टेंशन लेने से क्या हो जाता है पर फिर भी।"
 अरविंद और अनन्या ने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा, "बेटा..! बच्चों को हर एक बात अपने पैरंट्स से शेयर करनी चाहिए और कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो अगर कोई प्रॉब्लम होती है तो बच्चों की हैल्प कोई नहीं कर सकता।" ऐसा कहकर वह चिंकी को समझाने लगे।
चिंकी गहरी सोच में डूब गई.. वो सबकुछ बता कर अपने पेरेंट्स को परेशान नहीं करना चाहती थी। लेकिन इस समय परिस्थिति ही ऐसी हो गई थी कि ना ही चुप रहना ठीक था.. ना ही कुछ कहना।  फिर चिंकी  तो बच्ची थी ज्यादा समझ भी नहीं थी। 

चिंकी ने अपने पेरेंट्स को सबकुछ बताने का निश्चय कर के कहना शुरू किया।  चिंकी ने एक लंबी साँस ली.. थूक निगला और पानी के ग्लास की तरफ देखा। अरविंद ने चिंकी की नजरो का पीछा किया तो पाया चिंकी की नजर पानी की तरफ थी.. उन्होंने चिंकी की तरफ पानी का ग्लास बढ़ा दिया। चिंकी ने एक हो साँस में पानी खत्म किया और बोलना शुरू कर दिया।

चिंकी ने कहा, "पापा..! उस दिन जब हम स्टेशन पर उतरें थे.. और अंकल हमें लेने नहीं आ पाए थे तब आप बाहर आसपास होटल ढूंढने चले गए थे। मैं मोबाइल में गेम खेल रही थी.. माँ चेयर पर बैठे हुए ही सो गई थी कि तभी वहाँ एक ट्रेन आकर रुकी। उसमें से ना तो कोई उतर रहा था.. ना ही कोई चढ़ रहा था। बल्कि उस टाइम तो कोई भी स्टेशन पर भी नहीं था।  मुझे ऐसा लगा कि जैसे मुझे ट्रेन में कोई बुला रहा था। मैं बिना सोचे समझे देखने के लिए चली गई थी कि कौन बुला रहा हैं देखूँ तो..? पर कोई नहीं था वहां ये मुझे ट्रेन में चढ़ने के बाद पता चला। मेरे ट्रेन में चढ़ते ही ट्रेन चल पड़ी..मैंने चैन खींचने की भी ट्राय की पर ट्रेन रुकी ही नहीं। फिर कुछ आत्माओं ने मुझपर हमला कर दिया.. तब प्रिया ने मुझे बचाया..!"
चिंकी बोल ही रही थी कि प्रिया का नाम आते ही अनन्या ने उसे टोक दिया। अनन्या ने कहा, "प्रिया..!! कौन प्रिया बेटा. ??"
चिंकी ने कहा, "प्रिया..!! एक छोटी बच्ची की आत्मा है.. जिसने मुझे उस ट्रेन के सारे ख़तरों से बचाया था। आपको सबकुछ जानना है.. तो अब बिना टोके पूरी कहानी सुन लो। अब की बार टोका तो कुछ भी नहीं बताऊंगी।" चिंकी ने  मुंह फुलाकर कहा तो अरविंद ने अनन्या को झूठ मूठ डांटते हुए कहा, "आप शांति से पूरी बात क्यूँ नहीं सुनते... अब की बार आपने कुछ बोला तो चिंकी आपको कुछ भी नहीं बताएगी। हैं ना प्रिंसेस..!!" अरविंद ने अनन्या की तरफ आँख मारते हुए कहा।
 तो अनन्या ने चिंकी से कहा, "सॉरी गुड्डो..! अब कुछ नहीं बोलूंगी.. आप प्लीज आगे क्या हुआ वो बताओ.. मम्मा सॉरी है।" अनन्या ने कान पकड़ते हुए कहा।
चिंकी ने धीरे-धीरे आगे बोलना शुरू किया और पूरी कहानी उन्हें सुनाने लगी। कहानी सुनते सुनते उनके चेहरे पर डर, आश्चर्य और चिंता के भाव आ गए थे। उन दोनों की हालत तो इंस्पेक्टर कदंब और नीरज से भी ज्यादा खराब लग रही थी। पूरी बात ख़त्म होते होते तो अनन्या और अरविंद ने चिंकी को कस कर गले लगा लिया था.. और उसे छोड़ ही नहीं रहे थे।
"बस इसीलिए आपको कुछ भी नहीं बता रही थी। मुझे पता था कि आप दोनों का रिएक्शन यही होगा।" चिंकी ने मुँह बनाकर कहा तो उन्होंने प्यार से चिंकी के गाल खींच लिए और उसे अपनी गोद में थपकी देकर सुला दिया.. पर उन दोनों की तो नींद ही  चिंकी की बातों से उड़ गई थी। अब बस उन्हें चिंकी के ठीक होने की ही चिंता हो रही थी। 
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हॉस्पिटल में डॉक्टर शीतल थोड़ी सी रिलेक्स्ड फील कर रही थी। इंस्पेक्टर कदंब, नीरज और रोहित तीनों ही कुछ कन्फ्यूज्ड से डॉक्टर शीतल की तरफ देख रहे थे। ऐसे ही कुछ कन्फ्यूजन में वह नर्स भी थी। डॉ शीतल ने नर्स को बाहर जाने का इशारा किया और बाकी सब से कहा, "एक्चुअली गुड न्यूज़ यह थी कि इस बच्ची के पेट में जो एडवांस सी भ्रूण है.. उसकी ग्रोथ बहुत ही ज्यादा तेज थी.. पर उस जानवर के यहां आने के बाद यहां के माहौल में हुआ परिवर्तन से उसकी ग्रोथ थोड़ी सी अफेक्टेड हुई है। मतलब यह है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में इस भ्रूण के बढ़ने की गति को कम किया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो यह हमारे लिए बहुत ही अच्छी बात है.. अगर हम इसकी बढ़ने की गति को थोड़ा भी कम कर पाए।  हमारे लिए इससे छुटकारा पाने का रास्ता ढूंढने के लिए थोड़ा सा टाइम और मिलेगा। इस टाइम में हम और भी तेजी से अपनी रिसर्च पूरी कर लेंगे और इससे छुटकारा पा लेंगे।" 
 सभी लोग कन्फ्यूज्ड से डॉ शीतल की बात सुन रहे थे पर उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। सभी के चेहरे पर अभी भी बेचैनी थी जैसे कोई बात समझ ना आने पर होती है.. जब सामने वाले से कुछ नहीं पूछ सकते हैं।
    
  अब की बार इंस्पेक्टर कदंब ने बहुत ही टेंशन में आते हुए पूछा, "डॉक्टर शीतल.. आप बोलना क्या चाह रही हैं.. साफ साफ बताइए..हमें कुछ भी समझ नहीं आया है..?"
डॉ शीतल ने अति उत्साह में कहा, "जैसा कि आपको पता है अभी थोड़ी देर पहले जब हमने इस रूम में एंटर किया था.. तब इस लड़की की हालत जैसी थी उस जानवर के जाने के बाद उसके भ्रूण में असाधारण वृद्धि हुई है.. लेकिन एक बात और भी हैं वो य़ह कि..."

डॉक्टर शीतल बोल ही रही थी कि उसकी नजर नीचे जमीन पर पड़ी.. वहां पर्पल कलर का कुछ गिरा हुआ दिखाई दिया.. शीतल बोलना ही भूल गई के वो सभी को क्या बता रही थी।  शीतल लगभग भागते हुए उस जगह पहुंची और जमीन पर बैठ कर कुछ घूरने लगी। सभी बस ऐसे ही पागलों की तरह कभी शीतल को..कभी उस बेड पर लेटी लड़की को.. तो कभी जमीन को देख रहे थे कि डॉक्टर शीतल वहां क्या देख रही थी। 

"रोहित..!! जल्द से जल्द टेस्ट ट्यूब्स, स्कालपेल, पेट्रीडिश, स्लाइड्स और सभी इम्पोर्टेंट एप्रेटस जो भी  फॉरेंसिक यूज्ड होते हैं  फटाफट मंगवाओ..!! क्वीक..!!" डॉक्टर शीतल जोर से चीखी.. तो सभी लोग हड़बड़ाहट में इधर उधर भागने लगे।
रोहित तेजी से बाहर की तरफ दौड़ा.. इंस्पेक्टर कदंब और नीरज लंबे कदम रखते हुए शीतल के पास पहुंच गए और वहां पर खड़े होकर देखने की कोशिश करने लगे कि  शीतल देख क्या रही थी?
अचानक उनकी नजर नीचे पड़े पर्पस कलर के सीरम पर पड़ी जो कि कुछ संदिग्ध नजर आ रहा था। नीरज ने जल्दी में कुछ पूछने के लिए मुँह खोला तो कदंब ने उसके कंधे पर हाथ रखकर दबा दिया जिसका मतलब था कि अभी कुछ भी बोलना नीरज के लिए ठीक नहीं रहेगा।
लगभग दस मिनट के बाद ही रोहित सभी जरूरी उपकरण और दो सहायकों के साथ वहां पहुंच गया। डॉक्टर शीतल को उन्होंने साइड हटने के लिए कहा।
"मैडम..!! आप रहने दीजिए.. हम देखते हैं..!! आप आइए और थोड़ा रेस्ट कीजिए। तब तक ये असिस्टेंट्स यहां से सभी सैम्पल्स कलेक्ट कर लेंगे।" रोहित ने डॉक्टर शीतल से विनम्रता से कहा।
डॉक्टर शीतल एक साइड हट गई और उन्हें काम करने के लिए जगह दे दी। 
"रोहित..!!" 
"जी मैडम..!!"
"ये सभी सैम्पल्स कलेक्ट कर के लैब में भेज दो.. और एज़  सून एज़ पॉसिबल सभी असिस्टेंट्स को इनके टेस्ट में लगा दो। मुझे इसकी रिपोर्ट्स किसी भी कीमत पर सुबह चाहिए। और अगर इस काम में कोई भी लापरवाही या ढील हुई तो मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा। सारे स्टाफ को बोल दो कि जब तक इस सीरम की रिपोर्ट्स मुझे नहीं मिल जाती कोई भी घर नहीं जाएगा चाहे कुछ भी हो जाए।" शीतल ने कठोर शब्दों में रोहित को हिदायत दी।
"जी मैडम..!! और कुछ काम हो तो बता दीजिए।" रोहित ने पूछा तो शीतल ने ना में गर्दन हिला दी।
रोहित भी शीतल का जवाब सुनकर उन असिस्टेंट्स के पास चला गया जो कि सैम्पल्स कलेक्ट कर रहे थे। वहां जाकर उन्हें कुछ इम्पोर्टेंट इंस्ट्रक्शन्स  दिए और उनके काम खत्म होने का इंतजार करने लगा।
वो वक्त जब सैम्पल्स कलेक्ट किए जा रहे थे.. बाकी लोग भी बस शांति से उनके काम खत्म होने का इंतजार कर रहे थे। ये वक्त बहुत ही भारी था सभी पर.. एक एक पल ऐसे इंतजार में गुजारना सभी को झुंझलाहट से भर रहा था। इस वक्त सभी के सामने उस जानवर के बारे बात करना ठीक नहीं था.. यही सोचकर चुप थे पर इस टाइम चुप रहना और भी मुश्किल हो रहा था।

धीरे-धीरे  टाइम निकल रहा था.. अब सभी का सब्र जवाब दे रहा था। जैसे ही सभी असिस्टेंट्स बाहर गए सभी ने शीतल को घेर लिया और उसकी पिछली कहीं बातों का मतलब पूछने लगे।

डॉक्टर शीतल ने सभी को चुप रहने के लिए कहा और फिर उन्हें अपनी बातों का मतलब समझाते हुए कहा, "सबसे पहले तो आप सब थोड़ा शांत हो जाइए। चाहो तो थोड़ा पानी पीकर रिलेक्स कर ले फिर मैं पूरी बात आपको विस्तार से समझाती हूं।"
सभी ने एक स्वर में ज़वाब दिया..
"आप मतलब बताएं कि बात क्या थी.. पानी पीना और रिलेक्स करना तो बाद की बात है अभी तो साँस लेना भी मुश्किल हो रहा है।"

"ठीक है फिर सुनो..!!!

क्रमशः....








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6 Comments

Punam verma

26-Mar-2022 05:01 PM

Bahut episode ke baad thodi good news mili hai

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चलो कुछ तो खुशखबरी मिली 😂😂 ओके देखते है आगे क्या होगा।

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🤫

03-Sep-2021 06:04 PM

इंट्रेस्टिंग... कहानी...

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